धार्मिक मत है कि गुरु प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल में बेलपत्र दूर्वा और भांग के पत्ते मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं। प्रदोष व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है। विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, गुरु प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
कब मनाया जाएगा गुरु प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त, तिथि एवं योग
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