नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष के आरोप से इतने नाराज हुए कि कुछ देर के लिए यह कहते हुए सदन से चले गए कि उन्हें वह समर्थन नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के नेताओं की बैठक बुलाई। बैठक में उन्होंने साफ कहा कि सदन में जो दृश्य बना वह अभूतपूर्व और असहनीय था। कड़े फैसले लेना हमारा कर्तव्य है। इससे पहले सभापति ने कहा कि इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय लोकतंत्र पर हमला करना, अध्यक्ष पद की गरिमा को धूमिल करना, ये सिर्फ अभद्र आचरण नहीं है, ये सारी मर्यादाएं लांघने वाला आचरण है।
सभापति धनखड़ ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जो मैं देख रहा हूं और जिस तरह से शब्दों, पत्रों और अखबारों के जरिए से चुनौती दी जा रही है, कितनी गलत टिप्पणियां की गई हैं। ये चुनौती मुझे नहीं दी जा रही है बल्कि ये चुनौती अध्यक्ष पद को दी जा रही है। ये चुनौती इसलिए दी जा रही है क्योंकि विपक्ष को लगता है कि इस पद पर बैठा व्यक्ति इसके लायक नहीं है। इस घटनाक्रम से सभापति धनखड़ और विपक्षी दलों के बीच असहज संबंध एक बार फिर सामने आ गए हैं।
उच्च सदन की कार्यवाही शुरु होने पर सूचीबद्ध दस्तावेज सदन में पेश किए जाने के बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की और जानना चाहा कि इसके पीछे कौन है। सभापति ने यह मुद्दा उठाने की इजाजत नहीं दी। इस बीच टीएमसी के डेरेक ओब्रायन कुछ मुद्दे उठाने के लिए खड़े हुए लेकिन सभापति ने उन्हें भी अनुमति नहीं दी। सभापति ने विनेश के मामले पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे सदस्यों की बात को अनसुनी कर दिया तो सदन में शोरगुल और हंगाम तेज हो गया। इससे सभापति नाराज हो गए और सदन से उठा कर चले गए।
राज्यसभा में सभापति ने समर्थन नहीं मिलने पर छोड़ा सदन, फिर बुलाई बैठक
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