नई दिल्ली । एक अनुमान के मुताबिक भारत में 2028-29 तक यूपीआई से होने वाला भुगतान बढ़कर 439 अरब रुपये हो जाएगा।यह कुल खुदरा डिजिटल भुगतान का 91 % होगा। अभी खुदरा भुगतान में यूपीआई का योगदान करीब 80 % का है। भारत में यूपीआई का विकास करने वाले संगठन के मुताबिक जून में इससे 14।04 अरब लेन-देन हुए थे। उसका अनुमान है कि अगले 10-15 सालों में यह बढ़कर 100 अरब तक हो सकता है।
यह अनुमान पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट द इंडियन पेमेंट्स हैंडबुक-2024-29 में लगाया गया है।
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में पिछले आठ साल में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। उद्योग का अनुमान है कि मात्रा में तीन गुना से अधिक विस्तार होगा। डिजिटल भुगतान 2023-24 के 159 अरब बढ़कर से वित्त वर्ष 2028-29 तक 481 अरब तक हो जाने का अनुमान है।
मूल्य के संदर्भ में भुगतान लेनदेन बाजार की वृद्धि दोगुनी होने की उम्मीद है। यह इस अवधि में 265 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 593 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी। पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई ने साल-दर-साल 57 फीसद की लेन-देन मात्रा के साथ अपनी उल्लेखनीय वृद्धि जारी रखी है।
रिपोर्ट के मुताबिक,वित्त वर्ष 2023-24 में, कुल लेन-देन की मात्रा 131 अरब से थोड़ी अधिक थी।इसके 2028-29 तक 439 अरब तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है। यूपीआई अब भारत में कुल खुदरा डिजिटल भुगतान का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। साल 2028-29 तक इसके 91 फीसदी तक योगदान देने की उम्मीद है।
भारत में डिजिटल पेमेंट की वृद्धि दर दुनिया में सबसे तेज
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