नई दिल्ली। अब भारतीय छात्रों को हायर एजुकेशन के लिए विदेश जाकर पढ़ाई करने की जरुरत नहीं है। विदेशी विश्वविद्यालय ही भारत में खोले जाएंगे। इसकी शुरुआत यूनाइटेड किंगडम में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन से हो गई है। क्यूएस रैंकिंग में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन को दुनिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में शामिल किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन का भारतीय कैंपस हरियाणा के गुरुग्राम में स्थापित किया जाएगा। जो स्टूडेंट्स विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर सपनों को नई उड़ान देना चाहते हैं, उनके लिए यह अवसर बहुत मायने रखता है। अब वह भारत में रहकर ही विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर सकते हैं। एनईपी-2020 के तहत कई विदेशी यूनिवर्सिटी को भारत में कैंपस खोलने की परमिशन दी गई है।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के भारतीय कैंपस में दी जाने वाली डिग्रियां ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन के बराबर ही होंगी। भारतीय कैंपस में सुविधाएं भी वही जाएंगी, जो यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन में दी जाती हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय यूनिवर्सिटी की पढ़ाई की गुणवत्ता भी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन के समान होगी। दोनों कैंपस के स्टूडेंट्स के बीच में किसी तरह का फर्क नहीं किया जाएगा। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के भारतीय कैंपस से जुड़ी डिटेल्स दी हैं। उम्मीद की जा रही है कि विदेशी यूनिवर्सिटी का कैंपस जुलाई 2025 में शुरू हो जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के भारतीय कैंपस में रिसर्च, साइंस और बिजनेस जैसे कोर्सेस पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। ब्रिटेन की इस यूनिवर्सिटी के भारतीय कैंपस में बिजनेस और मैनेजमेंट, कंप्यूटिंग, लॉ, इंजीनियरिंग, आर्ट्स, साइंस समेत कई विषयों की डिग्री मिलेगी। ब्रिटेन के स्टूडेंट्स भी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के भारतीय कैंपस में एडमिशन ले पाएंगे। इससे उन्हें भारत में रहकर अध्ययन करने का मौका मिलेगा। अभी तक के प्लान के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के भारतीय कैंपस में 100 डिग्री कोर्स शुरू होंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के अलावा कई अन्य यूनिवर्सिटी भी भारत में कैंपस खोलने की तैयारी में हैं। एक ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी ने गुजरात की स्मार्ट सिटी में अपना कैंपस खोलने की रजामंदी भी दी थी।
एनईपी के चलते हुआ संभव: अब भारत में ही रहकर विदेशों में पढ़ाई कर सकेंगे छात्र
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