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मध्यप्रदेशराज्य

भानपुर कचरे की खंती को गोल्फ कोर्स में बदला

Last updated: 2024/09/24 at 3:45 PM
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6 Min Read
भानपुर कचरे की खंती को गोल्फ कोर्स में बदला
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भोपाल। भानपुर कचरे की खंती (डंपसाइट) को गोल्फ कोर्स में बदलना टिकाऊ शहरी नियोजन के प्रति भोपाल नगर निगम की प्रतिबद्धता को बताता है। भोपाल शहर में प्रतिदिन 850 टन कचरा पैदा होता है और पूरे अपशिष्ट प्रवाह को हर दिन संसाधित किया जाता है। बड़ी बात यह भी है कि भोपाल नगर निगम पारंपरिक अपशिष्ट उपचार को पीछे छोड़ चुका है और खतरनाक कचरे को ईंधन के मूल्यवान स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है।
 भोपाल नगर निगम के अनवरत प्रयासों का स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 पर उल्लेखनीय प्रभाव हुआ। 2022 में छठे स्थान से आगे बढ़ते हुए भोपाल अब 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 5वां सबसे स्वच्छ शहर बन गया है। भोपाल को 5-स्टार कचरा मुक्त शहर (जीएफसी) रेटिंग से भी सम्मानित किया गया है जिससे यह देश के राज्यों की राजधानियों में सबसे स्वच्छ राज्य राजधानी बन गया है। इसके अतिरिक्त 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले (मिलियन प्लस) सबसे स्वच्छ शहरों में भोपाल 5वें स्थान पर है।
भोपाल शहर में प्रतिदिन 850 टन कचरा पैदा होता है और पूरे अपशिष्ट प्रवाह को हर दिन संसाधित किया जाता है। नगर निगम की कचरे के वैज्ञानिक निपटान और कचरे से संपदा बनाने की परियोजनाओं से लेकर सी एंड डी ( कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन) कचरे की रीसाइक्लिंग, सीएनजी से चलने वाले कचरा संग्रह वाहनों, रीड्यूस, रीयूज, रीसायकल (3आर) पर जोर देनेवाली पहल उल्लेखनीय हैं। कूड़े को संवेदनशील स्थानों से हटाने से शहर का सौंदर्य और बढ़ गया है तथा आकर्षित कर रहा है। अपशिष्ट को अब सी एंड डी, बायो-सीएनजी और चारकोल संयंत्रों के माध्यम से कुशलतापूर्वक एकत्र और संसाधित किया जाता है।
शहर में कचरा संग्रह करने और अलग करने की प्रक्रिया में सुधार के लिए 469 घर-घर (डोर-टू-डोर) कचरा संग्रहण वाहन तैनात किए गए हैं। ये वाहन कचरा संग्रह करते हैं और इसे निकटतम ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाते हैं। प्रत्येक ट्रांसफर स्टेशन हुक लोडर वाले हरे और नीले कैप्सूल से सुसज्जित है। कचरे के प्रभावी प्रसंस्करण और निपटान को सुनिश्चित करने के लिए भोपाल के सभी 12 ट्रांसफर स्टेशनों पर एक सुव्यवस्थित पृथक्करण प्रणाली लागू की गई है। वर्तमान में शहर में 6 मटेरियल रिकवरी सुविधाएं (एमआरएफ) हैं।
 
भानपुर कचरे की खंती (डंपसाइट) को गोल्फ कोर्स में बदलना टिकाऊ शहरी नियोजन के प्रति नगर निगम की प्रतिबद्धता को बताता है। नगर निगम ने 37 एकड़ में फैली भानपुर खंती पर वैज्ञानिक तरीके से कचरे का उपचार किया है। इससे प्राप्त 21 एकड़ भूमि में से 6 एकड़ भूमि पर उद्यान स्थापित किया गया है।
भोपाल नगर निगम पारंपरिक अपशिष्ट उपचार को पीछे छोड़ चुका है और खतरनाक कचरे को ईंधन के मूल्यवान स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है। शहर ने हज़ार्ड गो इंडस्ट्री पीथमपुर के साथ सहयोग किया है। इसके तहत घरों, कार्यालयों और कारखानों से निकलने वाले खतरनाक कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन करने के लिए यहां पहले प्री-प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना हुई है। जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से संसाधित करने के लिए शहर में एक साझा जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा स्थापित की गई है। यह सुविधा आसपास के क्षेत्रों के अस्पतालों और विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के चिकित्सा अपशिष्ट का व्यापक प्रबंधन, परिवहन, भंडारण और उपचार की देखरेख करती है।
शहर के निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी) के कचरे का प्रबंधन थुआखेड़ा, भोपाल में 100 टीपीडी प्रसंस्करण संयंत्र में किया जा रहा है। यह संयंत्र स्टील, लकड़ी, प्लास्टिक, मिट्टी और कॉन्क्रीट जैसी अपशिष्ट सामग्रियों को अलग करता है और उन्हें एक निर्दिष्ट यार्ड में अलग से जमा करता है। संसाधित कचरे का उपयोग फ्लाई ऐश ईंटें और पेवर ब्लॉक बनाने के लिए किया जा रहा है।
भोपाल में तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक व्यापक प्रणाली लागू की गई है जिसमें 18 सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और 8 सह-उपचार संयंत्र शामिल हैं। एसटीपी से उपचारित पानी का लगभग 31% सेंट्रल वर्ज, फव्वारा, मछली पालन और कृषि व बागवानी उद्देश्यों के लिए दोबारा उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त यहां 56% क्षेत्र को कवर करते हुए एक सीवेज नेटवर्क स्थापित किया गया है। क्षेत्र में उपलब्ध सेप्टिक टैंकों में से लगभग 29% को तीन वर्षों के भीतर डिजिटल निगरानी के माध्यम से खाली करना सुनिश्चित किया गया है। भोपाल नगर निगम के पास आदमपुर छावनी में एक वैज्ञानिक लैंडफिल है। एकत्रित लीचेट के उपचार के लिए लीचेट उपचार संयंत्र स्थापित किया गया है और हरित पट्टी को बनाए रखने के लिए उपचारित पानी का दोबाराइस्तेमाल किया जा रहा है।
जारी परियोजनाओं के हिस्से के रूप में एनटीपीसी ने भोपाल नगर निगम के साथ 400 टीपीडी सूखे ठोस अपशिष्ट से टोरिफाइड (पकाया हुआ) चारकोल संयंत्र की स्थापना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस तरह से उत्पादित पकाए हुए चारकोल का उपयोग एनटीपीसी के ताप विद्युत संयंत्रों में सह-उत्पाद के रूप में किया जाएगा। भोपाल के आदमपुर में 400 टीपीडी की दैनिक प्रसंस्करण क्षमता वाला बायो-सीएनजी संयंत्र स्थापित किया जा रहा है जो 9 एकड़ क्षेत्र में फैला है। इस संयंत्र से प्रतिदिन 80 मीट्रिक टन जैविक खाद प्राप्त होने की उम्मीद है। भोपाल नगर निगम ने दूसरों के अनुसरण के लिए मानदंड स्थापित करते हुए कचरा-मुक्त शहर की दिशा में अपनी यात्रा जारी रखने की योजना बनाई है।

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संपादक - Rohan Singh Parihar
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ईमेल - [email protected]

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