भोपाल । मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में 12 साल पहले भर्ती किए गए 45 कॉन्स्टेबलों की नियुक्तियां निरस्त कर दी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के परिवहन सचिव सीबी चक्रवर्ती ने 19 सितंबर को यह आदेश जारी किया, जो अब सामने आया है। इस मामले में कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा का इस्तीफा मांगा है।
साल 2012 में ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबलों की भर्ती में महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर पुरुष उम्मीदवारों की नियुक्तियां की गई थीं। हिमाद्री राजे ने 2013 में इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने 2014 में निर्णय सुनाते हुए पुरुष कॉन्स्टेबलों की नियुक्तियों को अवैध माना था। इसके बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए इन नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया। जब सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं हुई, तो हिमाद्री राजे ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।
परिवहन विभाग ने 198 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें 24 मई 2012 को विज्ञापन जारी हुआ था और 12 अगस्त 2012 को परीक्षा हुई थी। इस परीक्षा में 1 लाख 47 हजार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया। जांच में कई अभ्यर्थियों के अस्थाई पते गलत पाए गए और 17 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति आदेश मिलने के बावजूद जॉइनिंग नहीं दी।
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा कि भर्ती में धांधली के आरोपों की जांच के दौरान कई खामियां सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि बिना सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया। कांग्रेस ने नौकरी से निकाले गए आरक्षकों की एक सूची भी जारी की है, जिसमें कई उम्मीदवारों के पते गलत दर्ज हैं।
तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 23 जून 2014 को भर्ती में धांधली के आरोपों को झूठा बताया और कहा कि सभी परीक्षाओं में चयन पारदर्शी तरीके से हुआ है।
45 ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबलों की नियुक्तियां रद्द
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