श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने इन दिनों चीन की छह दिनों की यात्रा पर हैं।
बुधवार को उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ द्विपक्षीय बातचीत की और कुल नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
गुणवर्धने के साथ अपनी बैठक में, चीनी राष्ट्रपति ने चीन और श्रीलंका के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया।
बैठक के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक चीन श्रीलंका के गहरे समुद्री बंदरगाह और कोलंबो हवाई अड्डे का पुनर्विकास करेगा।
श्रीलंकाई पीएम ने बुधवार को कहा कि चीन ने बीजिंग में अपने समकक्ष के साथ बातचीत के बाद द्वीपीय राष्ट्र के रणनीतिक गहरे समुद्री बंदरगाह और राजधानी के हवाई अड्डे को विकसित करने का वादा किया है।
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि बीजिंग 2.9 अरब डॉलर के विदेशी ऋण के पुनर्गठन में भी सहायता करेगा।
हालांकि, ऋण पुनर्गठन पर बीजिंग की स्थिति सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन श्रीलंकाई अधिकारियों ने कहा है कि चीन अपने ऋणों पर कटौती ना कर उसका कार्यकाल बढ़ा सकता है और ब्याज दरों को भी समायोजित कर सकता है।
चीन की तरफ से श्रीलंका को मदद की पेशकश ऐसे वक्त में हुई है, जब उसे पाकिस्तान में करारा झटका लगा है।
26 मार्च को अपराह्न करीब एक बजे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक चीनी कंपनी द्वारा शुरू किए गए दासू जलविद्युत परियोजना के काफिले पर आतंकवादी हमले में पांच चीनी और एक पाकिस्तानी नागरिक की मौत हो गई थी।
2022 में श्रीलंका भीषण आर्थिक संकट की चपेट में आ गया था, तब आयात करने के लिए उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया था। भारी अराजक स्थितियों में श्रीलंका ने अपने 46 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज पर खुद को डिफॉल्टर होने की घोषणा कर दी थी। उस साल महीनों तक चले विरोध प्रदर्शन के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद त्यागना पड़ा था।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री के दफ्तर की ओर से कहा गया है कि चीनी प्रधान मंत्री ली कियांग ने वादा किया है कि चीन श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में सहायता करेगा और अपनी अर्थव्यवस्था विकसित करने में मदद करेगा।
बयान में कहा गया है कि बीजिंग ने कोलंबो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए सहायता की पेशकश की है।
बता दें कि श्रीलंका के डिफॉल्टर होने के बाद से कोलंबो हवाई अड्डे के विकास के लिए जापानी-मदद रुका हुआ है, जिसे अब चीन पूरा करेगा।
दूसरी तरफ, हंबनटोटा के दक्षिणी समुद्री बंदरगाह को 2017 में ही चीन को 1.12 अरब डॉलर में 99 साल की लीज पर सौंप दिया गया था। इससे भारत के साथ चीन की क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता और सुरक्षा चिंताएं दोनों बढ़ गई हैं।
भारत के साथ-साथ अमेरिका भी चिंतित हैं कि हंबनटोटा में चीनी पैर जमाने से हिंद महासागर में उसकी नौसैनिक ताकत बढ़ सकती है।
हालांकि, श्रीलंका ने जोर देकर कहा है कि उसके बंदरगाहों का उपयोग किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा, लेकिन नई दिल्ली हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी जासूसी जहाजों को बुलाने पर आपत्ति जता चुका है।
दरअसल, चीन हंबनटोटा बंदरगाह और कोलंबो एयरपोर्ट के विकास के बहाने पूरे हिन्द महासागर की जासूसी करना और उस पर सामरिक वर्चस्व स्थापित करना चाह रहा है, जो भारत-अमेरिका समेत अन्य एशियाई देशों के लिए भी चिंता की बात है।