इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका ने फिर साबित कर दिया कि वह यहूदी देश के लिए दुनिया से भिड़ने को तैयार है।
एक तरफ जब संयुक्त राष्ट्र में रमजान के दौरान गाजा नरसंहार रोकने के लिए प्रस्ताव पास हुआ, अमेरिका ने न खिलाफत की और न समर्थन।
उसने वोटिंग से खुद को किनारे रखा। इजरायल ने इस काम के लिए अमेरिका को खूब सुनाया भी लेकिन, अमेरिका ने गाजा में निर्दोषों की जान जा रही है, का बयान देकर यह संदेश देने की कोशिश तो की कि उसे मानव हितों का ध्यान है लेकिन, अगले कुछ दिनों में ही इजरायल को हथियारों की खेप भेजने का वादा करके स्पष्ट कर दिया कि इजरायल पर उसकी पॉलिसी कभी नहीं बदलनी वाली।
दुनिया भर के देश अमेरिका के इस कदम पर नाराज हैं। अमेरिका और इजरायल की इतनी गहरी दोस्ती की वजह क्या है?
अमेरिका के लिए इजरायल सबसे पहले क्यों?
अमेरिका में हुकूमत चाहे रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेटिक, जो भी रहे। इजरायल पर अमेरिकी सरकार का रुख हमेशा नरम रहा है।
यहूदी देश के प्रति अमेरिका की दीवानगी और प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2019 में जब अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान की आर्थिक मदद कर रही थी, तब भी दूसरे नंबर पर उसकी प्रॉयटी इजरायल ही थी।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका ने सबसे ज्यादा आर्थिक मदद इजरायल को दी है। यूएस एड के मुताबिक साल 2019 में इजरायल को अफग़ानिस्तान के बाद सबसे अधिक मदद दी गई।
अमेरिका ने इजरायल को 2019 में 3.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा आर्थिक मदद की।
आंकड़े हैं गवाह
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1999-2008 के बीच अमेरिका ने इजरायल को 22 बिलियन डॉलर की मदद की। 2009 से 2018 के बीच 30 बिलियन डॉलर की मदद की। इसके अलावा नए समझौते के तहत 2019 से 2028 तक 40 बिलियन डॉलर तक मदद की जाएगी।
इजरायल से दोस्ती की इनसाइड स्टोरी
मामले के जानकार मानते हैं कि इजरायल के पास दुनिया की सबसे उन्नत खुफिया एजेंसी है। अमेरिका जानता है कि मध्य पूर्व में इजरायल को साधकर वह अपना प्रभुत्व बरकरार रख सकता है।
इसलिए यहूदी देश को उसकी मदद लगातार जारी रहती है। इसके अलावा अमेरिका ने साल 1948 में एक अलग यहूदी देश बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिका की फॉरेन असिस्टेंस एजेंसी के मुताबिक, अमेरिकी मदद से इजरायल अपने ऊपर और आस-पास के खतरों से निपटने के लिए सैन्य बढ़त बनाए रखने में कामयाब रहता है।
बाहरी दुश्मनों की खतरनाक मिसाइलों को अपने देश में घुसने से रोकने के लिए इजरायल के पास दुनिया की सबसे उन्नत तकनीकों से लैस आयरन डोम है। यह एक ऐसी तकनीक है, जो दुश्मन की मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर सकता है।
2011 से अमेरिका ने आयरन डोम में 1.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा अन्य इजरायली सैन्य उपकरणों पर भी अमेरिका लाखों मिलियन डॉलर खर्च कर चुका है।
राफा में कत्लेआम से पहले अमेरिकी मदद
यूएनएसी में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हो जाने के बावजूद गाजा में इजरायली सेना का कत्लेआम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गाजा पट्टी में मरने वालों की संख्या 30 हजार पहुंच चुकी है। लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हो चुके हैं।
शहर श्मशान घाट में बदल चुका है। लोगों को खाने, इलाज समेत सभी जरूरी चीजों के लाले पड़े हुए हैं। मामले के जानकार बताते हैं कि हमास के खिलाफ शुरू हुआ इजरायल का ऑपरेशन अब अलग और दूसरी दिशा में जा चुका है। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की जिद निर्दोषों की जान पर भारी पड़ रही है।
उधर, अमेरिकी सरकार गाजा में इजरायल के हर गुनाह माफ कर रही है। इसका सबूत तब मिला जब अमेरिका ने अरबों कीमत की नए हथियारों की खेप इजरायल के लिए मंजूर कर दिए। यह अमेरिका ने तब किया है जब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इजरायल राफा शहर पर कहर बरपा सकता है।
यह वो शहर है, जहां गाजा से जान बचाकर 1.5 मिलियन फिलिस्तीन शरण लिए हुए हैं। द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नए हथियार पैकेज में 1,800 से अधिक एमके 84 2,000-पाउंड बम और 500 एमके 82 500-पाउंड बम के साथ-साथ 25 एफ-35 लड़ाकू विमान शामिल हैं।
पेंटागन और अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है।