चुनावी मौसम में नेताओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन जिस रफ्तार से कांग्रेस के युवा नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़ा है, उससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या पार्टी युवाओं में भरोसा पैदा में विफल रही है।
पिछले 24 घंटे में पार्टी के दो युवा नेता विजेंदर सिंह और गौरव वल्लभ भाजपा में शामिल हो गए, जबकि वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
विजेंदर सिंह ने 2019 में राजनीति में कदम रखा था और पार्टी ने उन्हें दक्षिण दिल्ली से टिकट दिया, पर वह चुनाव हार गए। वहीं गौरव वल्लभ को कांग्रेस ने 2019 में झारखंड के जमशेदपुर पूर्व विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था।
यहां से हार के बावजूद कांग्रेस ने 2023 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में गौरव को उदयपुर का टिकट दिया, लेकिन यहां से भी उन्हें नाकामी मिली।
अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं युवा नेता
गौरव वल्लभ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का चुनाव प्रचार संभाल चुके हैं। इस सबके बावजूद उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहना बेहतर समझा।
वहीं अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह को भी कांग्रेस मथुरा लोकसभा सीट से मैदान में उतारने की तैयारी कर रही थी, पर उन्होंने टिकट के ऐलान के पहले ही पार्टी छोड़ दी।
ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि युवा नेता कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि युवा नेता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
दो लोकसभा चुनाव में हार के बाद कर्नाटक और तेलंगाना चुनाव में जीत से उम्मीद जगी थी, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव में हार ने तस्वीर बदल दी। यही वजह है कि युवा नेता अब दूसरी पार्टियों में भविष्य तलाश रहे हैं और चुनावी मौसम पूरी तरह मुफीद है।
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लंबी है लिस्ट
चुनावी मौसम में नवीन जिंदल, मिलिंद देवड़ा, अनिल शर्मा, अशोक चव्हाण और बाबा सिद्दीकी सहित कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी है।
इससे पहले अनिल एंटनी, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर जैसे युवा नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी पार्टी बना ली है।
कांग्रेस नेता बोले, पार्टी ने युवाओं को पूरा मौका दिया
युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका जवाब तो वह खुद दे सकते हैं, लेकिन पार्टी ने युवाओं को पूरा मौका दिया है।
लोकसभा चुनाव में पचास वर्ष से कम उम्र के उम्मीदवारों की संख्या अच्छी खासी है। इसके साथ ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व हर स्तर पर युवाओं को पूरा मौका दे रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
रोहतक की महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर राजेंद्र शर्मा मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक हालात में युवा नेता कांग्रेस में भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
उनके पास अभी 25-30 वर्ष का राजनीतिक करियर है। ऐसे में उन्हें लगता है कि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ज्यादा फायदेमंद है। इसलिए युवा नेता भाजपा की तरफ जा रहे हैं।