बिलासपुर
कोटा क्षेत्र के शिवतराई में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के एनएसएस कैंप के दौरान छात्रों को योग के बहाने नमाज पढ़ाने के मामले में कोटा पुलिस की टीम रात तीन बजे केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को घर से उठा लाई है। प्राेफेसर से घटना के संबंध में पूछताछ की जा रही है।
कोटा क्षेत्र के शिवतराई में एनएसएस कैंप के दौरान विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देने का प्रलाेभन देकर नमाज पढ़वाने के मामले में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिलीप झा, डा मधुलिका सिंह, डा ज्योति वर्मा, डा नीरज कुमारी, डा प्रशांत वैष्णव, डा सूर्यभान सिंह, डा बसंत कुमार और टीम कोर लीडर आयुष्मान चौधरी आरोपित हैं।
मामले की जांच के दौरान कोटा पुलिस ने प्रोफेसर दिलीप झा को गुरुवार की तड़के तीन बजे उनके घर से हिरासत में लिया है। पुलिस की टीम मामले में शामिल अन्य आरोपित की तलाश कर रही है।
क्या है मामला
गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के एनएसएस विंग का कोटा के शिवतराई में सात दिवसीय शिवर 26 मार्च से एक अप्रैल तक लगाया गया था। आरोप है कि 31 मार्च की सुबह कैंप में मौजूद प्रोफेसरों और टीम लीडर ने सभी छात्र-छात्राओं को एकत्र कर नमाज पढ़वाई। साथ ही छात्रों को प्रमाण पत्र देने का प्रलोभन दिया गया।
कैंप से लौटकर कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत विश्वविद्यालय प्रबंधन से की। इधर कैंप में नमाज पढ़वाने की जानकारी लगते ही हिंदू संगठन के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद कोनी पुलिस ने शुन्य में मामला दर्ज कर केस डायरी कोटा पुलिस को सौंप दी। मामले की जांच अब कोटा पुलिस कर रही है।
DSP रश्मीत कौर चावला ने बताया कि कथित घटना को लेकर आठ लोगों के खिलाफ 26 अप्रैल को दर्ज FIR के सिलसिले में प्रोफेसर दिलीप झा को गुरुवार सुबह हिरासत में लिया गया.
उन्होंने बताया कि झा और बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के 6 फैकल्टी मेंबर्स और टीम के एक मुख्य नेता पर धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने समेत अन्य अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता व छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने 26 मार्च से 1 अप्रैल के बीच जिले के कोटा थाना इलाके के शिवतराई गांव में आयोजित एनएसएस शिविर के दौरान 31 मार्च को 159 छात्रों को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया, हालांकि उनमें से केवल चार ही मुस्लिम थे. छात्रों के वापस लौटने पर विरोध प्रदर्शन के बाद जांच शुरू की गई, जिसके बाद दक्षिणपंथी संगठनों ने भी आंदोलन किया और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
बिलासपुर के एसएसपी रजनेश सिंह ने मामले की जांच के लिए सिटी पुलिस अधीक्षक (कोतवाली) अक्षय सबदरा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम गठित की थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर झा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. चावला ने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है.
छात्रों ने कार्रवाई की मांग की थी
छात्रों के मुताबिक, विरोध करने पर उन्हें धमकी और सर्टिफिकेट नहीं देने की चेतावनी भी दी गई। छात्रों ने कोनी थाना पुलिस से शिकायत करके प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. बसंत कुमार, कोआर्डिनेटर दिलीप झा सहित अन्य स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
शिविर में शामिल नहीं हुए थे प्रोफेसर
इधर, प्रोफेसर दिलीप झा का कहना था कि यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित NSS कैंप में वो शामिल ही नहीं हुए थे। ऐसे में उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कैंप में नमाज पढ़ाने की उन्हें जानकारी ही नहीं है। न ही कैंप में शामिल को आर्डिनेटर ने उन्हें इसकी जानकारी दी थी। ऐसे में बेवजह केस में आरोपी बनाया गया है।
पुलिस बोली- साक्ष्यों को किया प्रभावित, जांच में सहयोग नहीं
वहीं, सीएसपी व मीडिया प्रभारी रश्मित कौर चावला का कहना है कि इस मामले की जांच के बाद प्रो.दिलीप झा, डॉ. मधुलिका सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, डॉ. नीरज कुमारी, डॉ. प्रशांत वैष्णव, डॉ. सुर्यभान सिंह, डॉ. बसंत कुमार और टीम कोर लीडर छात्र आयुष्मान चौधरी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
जांच में अपराध सबूत पाए जाने के साथ ही साक्ष्य को प्रभावित करने और विवेचना में सहयोग नहीं करने के कारण आरोपी प्रोफेसर दिलीप झा को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है।