दुनिया इस वक्त कई महायुद्ध झेल रहा है। रूस और य़ूक्रेन युद्ध शुरू हुए तीन साल होने वाले हैं।
दूसरी तरफ इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकियों के बीच युद्ध शुरू हुए 200 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया। अब ईरान और इजरायल के बीच महायुद्ध के हालात बने हुए हैं।
इन सभी युद्धों ने एक बात साफ है- देश की संप्रभुता और राष्ट्र हित से कोई समझौता नहीं। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान दिया।
उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र हित की बात आएगी तो कोई भी देश युद्ध करने से संकोच नहीं करेगा।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने वर्तमान भू-रणनीतिक परिदृश्य में ‘‘अभूतपूर्व’’ पैमाने हो रहे बदलावों देखते हुए कहा कि किसी भी देश को खुद पर हमला रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में सैन्य ताकत और क्षमताएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल के भू-राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन ने दिखाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल आता है, देश युद्ध लड़ने से संकोच नहीं करेंगे।
उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि दुनिया में तेजी से आ रहे घटनाक्रमों ने सैन्य शक्ति के महत्व की फिर से पुष्टि की है।
सेना प्रमुख पांडे ने एआईएमए राष्ट्रीय नेतृत्व संगोष्ठी में ‘सैन्य शक्ति : आत्मनिर्भरता के माध्यम से बलों का आधुनिकीकरण’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र का समग्र उत्थान तब हो सकता है जब उसकी “व्यापक राष्ट्रीय शक्ति” में उल्लेखनीय और निरंतर वृद्धि होती रहे।
सेना प्रमुख ने कहा कि “आर्थिक शक्ति” राष्ट्र के विकास का स्रोत है, वहीं “सैन्य ताकत” इसे “परिणामों को प्रभावित करने” की क्षमता प्रदान करती है जो देश के विविध हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, युद्ध को रोकने या “विश्वसनीय प्रतिरोध” करने के साथ-साथ “संघर्ष के पूरे परिदृश्य” में आवश्यकता पड़ने पर खतरों का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए सैन्य ताकत और क्षमताएं आवश्यक हैं।
उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता’ या आत्मनिर्भरता के माध्यम से सैन्य शक्ति की क्षमताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कारकों को भी महत्वपूर्ण बताया।
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