रायपुर: प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) योजना ने विशेष पिछड़ी जनजाति की विधवा महिला श्रीमती सुभौतिन कमार के जीवन में खुशियों की नई सुबह ला दी है। कल तक जो आंखें एक पक्के घर के लिए तरसती थीं, आज वही आंखें अपने स्वयं के पक्के मकान में रहने की खुशी और संतुष्टि से चमक रही हैं।
गरियाबंद जिले के विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम पंचायत गुण्डरदेही अंतर्गत बम्हनदेही (नाचनबाय) निवासी श्रीमती सुभौतिन कमार का जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा रहा। पति के निधन के बाद वह अपने छोटे से नाती के साथ मिट्टी, खपरैल और घास-फूस से बनी झोपड़ी में रहती थीं। दिहाड़ी मजदूरी से केवल गुज़ारा चलता था। पक्का मकान बनवाना उनके लिए एक ऐसा सपना था, जो असंभव था।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत सुभौतिन को आवास निर्माण हेतु 2 लाख रुपये तथा मनरेगा अंतर्गत 95 दिवस की मजदूरी के लिए 23 हजार 85 रुपये स्वीकृत किए गए। योजना की पहली किस्त सीधे उनके बैंक खाते में जमा हुई, जिससे मकान निर्माण का कार्य प्रारंभ हो सका। स्वयं मकान बनाने में असमर्थ होने पर प्रशासन ने रूरल मेसन ट्रेनिंग योजना के अंतर्गत एक मास्टर ट्रेनर की देखरेख में उनका पक्का घर तैयार करवाया। निर्माण के विभिन्न चरणों में उन्हें शेष किश्तें भी प्राप्त होती गईं।
आज श्रीमती सुभौतिन अपने नाती के साथ पक्के मकान में सुखपूर्वक रह रही हैं। उनकी आंखों में खुशी के आंसू हैं और चेहरे पर संतोष की मुस्कान है। वह भावुक होकर कहती हैं-मेरे पास कभी इतने साधन नहीं थे कि पक्का मकान बना सकूं, लेकिन सरकार की इस योजना ने मेरा सपना पूरा कर दिया। श्रीमती सुभौतिन कमार की यह कहानी न केवल पीएम-जनमन योजना की सफलता का प्रतीक है, बल्कि शासन की उस प्रतिबद्धता का भी सशक्त उदाहरण है, जिसके माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक विकास और सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य साकार किया जा रहा है।