बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि पुलिस इंस्पेक्टर की एक बार किसी जगह स्थानांतरण के बाद कम से कम दो साल से पहले तबादला नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसके खिलाफ कोई बड़ा कारण या अत्यावश्यक ना हो। इसके साथ ही कोर्ट ने रायगढ़ जिले के छाल में पदस्थ थाना प्रभारी विजय चेलक का सुकमा जिले में किया गया तबादला निरस्त कर दिया है।
रायगढ़ जिले के छाल में पदस्थ थाना प्रभारी विजय चेलक का सुकमा जिला ट्रांसफर किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एडवोकेट धीरज वानखेड़े के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया कि इससे पहले भी याचिकाकर्ता ने नारायणपुर और दूसरे नक्सल, आदिवासी क्षेत्रों में लंबे समय तक काम किया है। 6 महीने पहले ही उनका ट्रांसफर सिविल एरिया में किया गया है। इसलिए फिर से नक्सल क्षेत्र में तबादला गलत है। सरकार नक्सल एरिया में उनकी तैनाती के बारे में कुछ बता भी नहीं रही है। याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई शिकायत भी कहीं लंबित नहीं है।छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 की नीति के भी यह विपरीत है। स्थानांतरण आदेश पारित करते समय इस बात की कोई प्रशासनिक आवश्यकता नहीं दिखाई गई कि, याचिकाकर्ता को फिर से अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र में तैनात करने की आवश्यकता क्यों है।याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया जिसमें इस बात का उल्लेख है कि आईजी, एसपी और थाना प्रभारी को दो साल से पहले नहीं हटाया जा सकता, अगर उनके खिलाफ कोई बड़ी अनुशासनात्मक या क्रिमिनल शिकायत ना हो। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए थाना प्रभारी का ट्रांसफर आदेश निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट का आदेश-दो साल से पहले थाना प्रभारी का नहीं किया जा सकता ट्रांसफर
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